साहित्य किसके लिए है ? साहित्य लिखने वालों की समस्या तथा विविध वादों मे साहित्य का वर्गिकरण आज की लेखन - धारा का विच्छिन्न प्रवाह है। साहित्य लिखने वाला यदि सचमुच दत्त-चित्त है तो वह यह समझता है कि देश को उसकी बड़ी आवश्यकता है और वह साहित्य लिखकर देश को अपनी मूल्यवान सेवा अर्पित कर रहा है।लोकतन्त्र कि राजनीति और आज के युग मे सोशल वर्कर तथा अपने को कलम का सिपाही मानने वाला साहित्य या पत्रकार बड़े अभिमान के साथ एक ही अहमियत कि घोषणा करतें हैं कि आपका जीवन , आपकी कलम सदा राष्ट्र के लिए , समाज के लिए समर्पित रही है ।
संसार का विस्तार बहुत अधिक है ,ऊपर आकाश ,नक्षत्र ,तारे और आकाश गंगा है । पर क्या सब कुछ साहित्य का विषय है ? मनुष्य के मन ने अपने राग तथा पौरुष से जहां तक विजय प्राप्त की है उसकी अभिव्यक्ति साहित्य मे होती है । साहित्य मनुष्य समाज का सच्चा लोकतन्त्र है , साहित्य रचने वाले का विराट मन जब सभी से स्वतंत्र और उदात स्थिति मे होता है ,जीवन के वे क्षण उसके साहित्य की रचना करते हैं ,फिर वही साहित्य अपने समाज की नयी रचना करता । समाज और राष्ट्र मे शासन तथा साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं किन्तु पूर्णतया स्वतंत्र हैं । साहित्य स्वतंत्र होता है , वही शासन के तंत्र मे नहीं चलता । जब वह शासन के तंत्र मे होता है , वही उसके जीवन की संध्या है , रात्री है ।