आचार्य जयशंकर त्रिपाठी की नई पुस्तक 'रघुवंश का रचमान सौंदर्य ' है जो कि महाकवि कालिदास कृत रघुवंश का छः सर्गों अनुवाद है। यदि वे जीवित रहते तो १९ सर्गों का अनुवाद टिप्पणी सहित करते। अनुवाद करने के बीच ही वो दिवंगत हो गए , इसलिए अनुवाद का कार्य अधूरा ही रह गया । मौलिकता का अभाव न हो इसलिए उनके द्वारा किये छः सर्ग को ही मैंने प्रकाशित करा दिया। महाकवि कालिदास पर पूज्य पंडित जी का अध्ययन अप्रतिम है। इस पुस्तक के अनुवाद के अंत में तीन परिशिष्ट दिए गए हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण है , कवि कालिदास और नाटककार कालिदास के सम्बन्ध में पंडित जी के अपने मौलिक विचार रहें हैं जो शोधार्थी छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पुस्तक प्राप्ति के लिए आप रत्नाकर प्रकाशन ratnakarprakshan1982@gmail.com से संपर्क कर सकतें हैं।